तंत्र मंत्र के बार
जब किसी की दोवारा किसी पर कोई बार किया जाता है तो उसको क्या फील है और वो कैसा महसूस करता है गुरु के वचनो के अनुसार गुरु कृपा से ही आज आपको बता दू तंत्र का बार का असर आदमी हो जा औरत लेकिन असर उसके मन पर होता है उसके मन की विरति को चेंज कर देता है वो जैसे की आदमी के सोच समाज पर अटैक करता है उसको अपने अनुसार मैनेज करता है ! जिसके ऊपर तंत्र किरिया है पय्रोग किया होता है तो उसका मन और घबरात होती है एक जगह पर नहीं बैठा है शरीर कुछ और करता है मानसिक तनाव है और झगड़े मैं सबसे आगे होआ है गुसा मैं किसी को बी मारने को पढता है और किसी बी धरिक स्थान पर नहीं जाता है वो यह कुछ खास बातें है लेकिन यहाँ पर बी खतम नहीं होता है तंत्र मंत्र यन्त्र की किरिया क्युकी जैसा पय्रोग होता है वैसे ही सामने वाले को कष्ट होता है क्युकी हर एक मंत्र के पिच दुहाई आती है वो धुऐ से ही उस चीज़ को काम करता पढता है और रही बात अच्छे और बुरे की तो आपको बता दू बुरा इंसान है जो के ऐसा घिनानो काम करता है किसी की ऊपर गलत चीज़े छोड़ता है क्युकी चीज़ बुरी है जा अच्छी जब तक भेजा न जाये तब तक किसी को कष्ट नहीं देती है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
जब किसी की दोवारा किसी पर कोई बार किया जाता है तो उसको क्या फील है और वो कैसा महसूस करता है गुरु के वचनो के अनुसार गुरु कृपा से ही आज आपको बता दू तंत्र का बार का असर आदमी हो जा औरत लेकिन असर उसके मन पर होता है उसके मन की विरति को चेंज कर देता है वो जैसे की आदमी के सोच समाज पर अटैक करता है उसको अपने अनुसार मैनेज करता है ! जिसके ऊपर तंत्र किरिया है पय्रोग किया होता है तो उसका मन और घबरात होती है एक जगह पर नहीं बैठा है शरीर कुछ और करता है मानसिक तनाव है और झगड़े मैं सबसे आगे होआ है गुसा मैं किसी को बी मारने को पढता है और किसी बी धरिक स्थान पर नहीं जाता है वो यह कुछ खास बातें है लेकिन यहाँ पर बी खतम नहीं होता है तंत्र मंत्र यन्त्र की किरिया क्युकी जैसा पय्रोग होता है वैसे ही सामने वाले को कष्ट होता है क्युकी हर एक मंत्र के पिच दुहाई आती है वो धुऐ से ही उस चीज़ को काम करता पढता है और रही बात अच्छे और बुरे की तो आपको बता दू बुरा इंसान है जो के ऐसा घिनानो काम करता है किसी की ऊपर गलत चीज़े छोड़ता है क्युकी चीज़ बुरी है जा अच्छी जब तक भेजा न जाये तब तक किसी को कष्ट नहीं देती है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
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