गोरखनाथ का प्रिय मंत्र 'जंजीरा' मंत्र
यह सब आपकी शरधाभाव पार डिपेंड करता है गऊ कृपा कितनी है और गुरु हुकुम से आप सभी जो बी करते हो शत परिष्त आपका मंत्र सिद्ध होता लेकिन गुरु कृपा की से ऊपर कुछ नहीं है गुरु है तो आपके सरे काम सब खुद व खुद निकलते है सो गुरु है तो सब कुछ करो आप बिना गुरु के सारा भार आपके आपके शरीर पर आता है ! इसलिए गुरु नहीं तो पहले आपके इष्टदेव की सेवा करो आप पहले उनकी कृपा होने बाद आपके काम खुद व खुद और साडी तांत्रिक माया समझ मैं आएगी !
मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए नाना प्रकार की सिद्धियाँ की एवं उस पर विजय प्राप्त करने के बाद स्वार्थ-परमार्थ दोनों कार्य भी किए। किसी ने भैरव को, किसी ने दुर्गा को, किसी ने हनुमान जी को इस प्रकार सभी ने अपने-अपने हिसाब से देवताओं की आराधना कर सिद्ध किया और अपने कार्य को किया।
यहाँ पर गुरु गोरखनाथ को प्रसन्न करने के लिए मंत्र (जंजीरा) दे रहे हैं जो 21 दिन में सिद्ध होता है। साथ में गोरखनाथ जी का आशीर्वाद भी मिलता है इसे सिर्फ परोपकार के लिए ही कार्य में लें अपने स्वार्थ के लिए नहीं।
मंत्र (जंजीरा)
सिद्ध करने की विधि एवं प्रयोग :
किसी भी एकांत स्थान पर धुनी जलाएँ। उसमें एक लोहे का चिमटा गाड़ दें। नित्य प्रति धुनी में एक रोटी पकाएँ और वह रोटी किसी काले कुत्ते को खिला दें। (रोटी कुत्ते को देने के पहले चिमटे पर चढ़ाएँ।) प्रतिदिन आसन पर बैठकर 21 बार जंजीरा (मंत्र) का विधिपूर्वक पाठ करें। 21 दिन में सिद्ध हो जाएगा।
किसी भी प्रकार का ज्वर हो, तीन काली मिर्च को सात बार मंत्र पढ़कर रोगी को खिला दें, ज्वर समाप्त हो जाएगा।
भूत-प्रेत यक्ष, डाकिनी, शाकिनी नजर एवं टोने-टोटके किसी भी प्रकार का रोगी हो, मंत्र (जंजीरा) सात बार पढ़कर झाड़ दें। रोगी ठीक हो जाएगा।
यदि आप किसी भी कार्य से जा रहे हो, जाने से पूर्व मंत्र को पढ़कर हथेली पर फूँक मार कर उस हथेली को पूरे चेहरे पर घुमा लें फिर कार्य से जाएँ, आपका कार्य सिद्ध होगा और आपको सफलता जरूर मिलेगी।
आत्मा एवं परमात्मा का मिलन आपके कार्य सिद्ध करेंगे।जो न मांगोगे वही मिलेगा लेकिन भाव सही होना चाहिए और गुरु प्रत्रि श्रद्धा भाव जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
यह सब आपकी शरधाभाव पार डिपेंड करता है गऊ कृपा कितनी है और गुरु हुकुम से आप सभी जो बी करते हो शत परिष्त आपका मंत्र सिद्ध होता लेकिन गुरु कृपा की से ऊपर कुछ नहीं है गुरु है तो आपके सरे काम सब खुद व खुद निकलते है सो गुरु है तो सब कुछ करो आप बिना गुरु के सारा भार आपके आपके शरीर पर आता है ! इसलिए गुरु नहीं तो पहले आपके इष्टदेव की सेवा करो आप पहले उनकी कृपा होने बाद आपके काम खुद व खुद और साडी तांत्रिक माया समझ मैं आएगी !
मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए नाना प्रकार की सिद्धियाँ की एवं उस पर विजय प्राप्त करने के बाद स्वार्थ-परमार्थ दोनों कार्य भी किए। किसी ने भैरव को, किसी ने दुर्गा को, किसी ने हनुमान जी को इस प्रकार सभी ने अपने-अपने हिसाब से देवताओं की आराधना कर सिद्ध किया और अपने कार्य को किया।
यहाँ पर गुरु गोरखनाथ को प्रसन्न करने के लिए मंत्र (जंजीरा) दे रहे हैं जो 21 दिन में सिद्ध होता है। साथ में गोरखनाथ जी का आशीर्वाद भी मिलता है इसे सिर्फ परोपकार के लिए ही कार्य में लें अपने स्वार्थ के लिए नहीं।
मंत्र (जंजीरा)
ऊँ गुरुजी मैं सरभंगी सबका संगी, दूध-माँस का इकरंगी, अमर में एक तमर दरसे, तमर में एक झाँई, झाँई में पड़झाँई, दर से वहाँ दर से मेरा साईं, मूल चक्र सरभंग का आसन, कुण सरभंग से न्यारा है, वाहि मेरा श्याम विराजे ब्रह्म तंत्र ते न्यारा है, औघड़ का चेला, फिरू अकेला, कभी न शीश नवाऊँगा, पत्र पूर पत्रंतर पूरूँ, ना कोई भ्राँत लाऊँगा, अजर अमर का गोला गेरूँ पर्वत पहाड़ उठाऊँगा, नाभी डंका करो सनेवा, राखो पूर्ण वरसता मेवा, जोगी जुण से है न्यारा, जुंग से कुदरत है न्यारी, सिद्धाँ की मूँछयाँ पकड़ो, गाड़ देवो धरणी माँही बावन भैरूँ, चौसठ जोगन, उल्टा चक्र चलावे वाणी, पेडू में अटकें नाड़ा, न कोई माँगे हजरता भाड़ा मैं भटियारी आग लगा दूँ, चोरी-चकारी बीज बारी सात रांड दासी म्हाँरी बाना, धरी कर उपकारी कर उपकार चलावूँगा, सीवो, दावो, ताप तेजरो, तोडू तीजी ताली खड चक्र जड़धूँ ताला कदई न निकसे गोरखवाला, डाकिणी, शाकिनी, भूलां, जांका, करस्यूं जूता, राजा, पकडूँ, डाकम करदूँ मुँह काला, नौ गज पाछा ढेलूँगा, कुँए पर चादर डालूँ, आसन घालूँ गहरा, मड़, मसाणा, धूणो धुकाऊँ नगर बुलाऊँ डेरा, ये सरभंग का देह, आप ही कर्ता, आप ही देह, सरभंग का जप संपूर्ण सही संत की गद्दी बैठ के गुरु गोरखनाथ जी कही।
किसी भी एकांत स्थान पर धुनी जलाएँ। उसमें एक लोहे का चिमटा गाड़ दें। नित्य प्रति धुनी में एक रोटी पकाएँ और वह रोटी किसी काले कुत्ते को खिला दें। (रोटी कुत्ते को देने के पहले चिमटे पर चढ़ाएँ।) प्रतिदिन आसन पर बैठकर 21 बार जंजीरा (मंत्र) का विधिपूर्वक पाठ करें। 21 दिन में सिद्ध हो जाएगा।
किसी भी प्रकार का ज्वर हो, तीन काली मिर्च को सात बार मंत्र पढ़कर रोगी को खिला दें, ज्वर समाप्त हो जाएगा।
भूत-प्रेत यक्ष, डाकिनी, शाकिनी नजर एवं टोने-टोटके किसी भी प्रकार का रोगी हो, मंत्र (जंजीरा) सात बार पढ़कर झाड़ दें। रोगी ठीक हो जाएगा।
यदि आप किसी भी कार्य से जा रहे हो, जाने से पूर्व मंत्र को पढ़कर हथेली पर फूँक मार कर उस हथेली को पूरे चेहरे पर घुमा लें फिर कार्य से जाएँ, आपका कार्य सिद्ध होगा और आपको सफलता जरूर मिलेगी।
आत्मा एवं परमात्मा का मिलन आपके कार्य सिद्ध करेंगे।जो न मांगोगे वही मिलेगा लेकिन भाव सही होना चाहिए और गुरु प्रत्रि श्रद्धा भाव जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
���� Guruji kiya Aap mhujh diksha de sakte ho?
ReplyDeleteplease ����
����Aadesh Aadesh����
Om Namojee Adiesh!!!
ReplyDeleteOm Namojee Adiesh!!!
ReplyDeleteAadesh guru ji guru ji dhuina 24 houver Cheyetn rhna ya suvha sham aadesh
ReplyDeleteAadesh guru ji aadesh guru mere ko mala leni aap se kase magbaun
ReplyDeleteBhai jai guru Machindra nath
ReplyDeleteAab battawo mere andar konse nath ki sakti hay or kitnai hay
Adesh adesh adesh
Jay guru gorakshnath
ReplyDeleteJay guru gorakshnath Baba ge me appka chhh Bonu ga
ReplyDeleteApp na kudd koi manter sidd kiya a
ReplyDeleteThanks for sharing with us
ReplyDeleteWe also provide the Puja Thaali, yantra, Rudraksha and Shiva Statues
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