गोरक्ष गयात्री जाप
॥ ॐ शिव गोरक्ष योगी ॥
“ गोरक्ष गायत्री “
सतनमो आदेश । गुरू जी को आदेश ।
ॐ गुरू जी ॐकारे शिव रूपी संध्या ने साध रूपी , मध्याने हंस रूपी , हंस परमहंस द्वि अक्षर , गुरू तो गोरक्ष , काया तो गायत्री , ॐ तो ब्रहम , सोंह तो शक्ति , शुन्य तो माता , अवगति पिता , अभय पंथ , अचल पदवी , निरन्जन गौत्र , अलील वर्ण , विंहगम जाति , असंख्य प्रवर , अनन्त शाखा , सूक्ष्म वेद , आत्म ज्ञानी , ब्रहमज्ञानी श्री ॐ गो गोरक्षनाथाय विदमहे शुन्य पुत्राय धीमही तन्नो - गोरक्ष निंरजन प्रचोदयात् , इतना गोरक्ष गायत्री पठयन्ते हरते पाप श्रूयते सिद्धि निश्चय । जपन्ते परम ज्ञान अमृतानंद मनुष्याते । नाथ जी गुरू जी को आदेश ।
॥ आदेश आदेश जी ||
विधि :- नाथ पंथ मैं जिसको चलना है नथो की कृपा पानी है तो आपका इसका जाप करो एक माला डेली १०८ बार रुद्राक्ष की माला से जा आप २१ ,३१,५१ बार बी कर सकते है लेकिन सवा महीना लगातार करना है सबसे पहले शिव बाबा का नाम लेना है उनके बाद इष्टदेव पितरो का नाम फिर गणेश पूजन और गुरु पूजन करना है आपको उसके बाद गयात्री याप करना है जो ऊपर दिया है सवा महीना करना है नियम मैं सम्भोग से दूर सत्ये के रह पर चलना है सेवा भाव और गुरु प्रति आपके भाव श्रद्धा सही होगी तो आपका काम और साधना सफलता पाकी है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
॥ ॐ शिव गोरक्ष योगी ॥
“ गोरक्ष गायत्री “
सतनमो आदेश । गुरू जी को आदेश ।
ॐ गुरू जी ॐकारे शिव रूपी संध्या ने साध रूपी , मध्याने हंस रूपी , हंस परमहंस द्वि अक्षर , गुरू तो गोरक्ष , काया तो गायत्री , ॐ तो ब्रहम , सोंह तो शक्ति , शुन्य तो माता , अवगति पिता , अभय पंथ , अचल पदवी , निरन्जन गौत्र , अलील वर्ण , विंहगम जाति , असंख्य प्रवर , अनन्त शाखा , सूक्ष्म वेद , आत्म ज्ञानी , ब्रहमज्ञानी श्री ॐ गो गोरक्षनाथाय विदमहे शुन्य पुत्राय धीमही तन्नो - गोरक्ष निंरजन प्रचोदयात् , इतना गोरक्ष गायत्री पठयन्ते हरते पाप श्रूयते सिद्धि निश्चय । जपन्ते परम ज्ञान अमृतानंद मनुष्याते । नाथ जी गुरू जी को आदेश ।
॥ आदेश आदेश जी ||
विधि :- नाथ पंथ मैं जिसको चलना है नथो की कृपा पानी है तो आपका इसका जाप करो एक माला डेली १०८ बार रुद्राक्ष की माला से जा आप २१ ,३१,५१ बार बी कर सकते है लेकिन सवा महीना लगातार करना है सबसे पहले शिव बाबा का नाम लेना है उनके बाद इष्टदेव पितरो का नाम फिर गणेश पूजन और गुरु पूजन करना है आपको उसके बाद गयात्री याप करना है जो ऊपर दिया है सवा महीना करना है नियम मैं सम्भोग से दूर सत्ये के रह पर चलना है सेवा भाव और गुरु प्रति आपके भाव श्रद्धा सही होगी तो आपका काम और साधना सफलता पाकी है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
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