Thursday, 29 March 2018

शिव सवरूप गुरु का रूप

शिव सवरूप गुरु का रूप 

गुरु की बानी मैं शिव बाबा का नाम क्यों आता है उस मैं यह क्यों बोला जाता है की शिव ही गुरु गुरु ही शिव है क्युकी गुरु सवरूप उस मालिक का सवरूप है आप और मैं और कोई बी जो अध्यतम के रस्ते पर चलता है मंत्र शब्द और किरिया अलग अलग है लेकिन जाना सब ने वही है गुरु तो बाणी है एक गुरु शब्द है एक जिसका जाप करते करते आपको ज्ञान और सद्बुद्धि के साथ साथ परमात्मा के दर्शन मिलते है गुरु एक तत्व है ५ प्राण मैं कुण्डलिनी शक्ति विराजमान है जब ५ प्राण की शक्ति को एकता किया जाता है और उसको एक साइड मैं गति दी जाती है तब परमाता का दीदार होता है उनके दर्शन होते है गुरु तो एक है लेकिन शब्द अनेक है ! 

 गुरु शब्द 

ॐ शिव गोरक्ष 

अब गोरक्ष शब्द है ॐ अनत है शिव महाकाल है बात अति है दर्शनों की तो आपको मैं बता दू अब आप चाहे तो ॐ का जाप करो जा फिट शिव शिव की रट लगाओ जा फिर जय गोरक्ष करो क्युकी मंत्र और शब्द चेंज होते है नाम वही काम वही है गोरक्ष -२ बी करते हो आप तब बी आप पर कृपा होनी ही होनी है लेकिन उसके लिए आपको बता दू बाबा आपकी परीक्षा लेंगे 
वो परीक्षा आपको पास करनी है उसके बाद जब चाहो परमात्मा को देखो यह मेरा अनुभव है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली ! 





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