माता लक्ष्मी जी का सिद्ध शाबर मंत्र
प्रे और भजन
हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी।
पूरण करो अब माता कामना हमारी।।
धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख-दात्री।
सुनो-सुनो अम्बे सत्-गुरु की पुकार।
शम्भु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार।।
तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान।
आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान।।
२१ बार पढ़ो आप सभी इसको साधना सुरु करने से पहले ही पढ़ना है आपको और बता दू आप चलते फिर बी पढ़ सकते है ऊपर दिया गया है जो यह सब श्रद्धा भाव से जो बी करोगे सफलता जरूर मिलगी आपको यह मेरा विश्वास है !
मूल मंत्र ५ माला डेली करो सब कुछ मिलेगा दिलसे प्रेम ही भगति है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा
मन्त्र- “ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।”
विधि- ‘दीपावली’ की सन्ध्या को पाँच मिट्टी के दीपकों में गाय का घी डालकर रुई की बत्ती जलाए। ‘लक्ष्मी जी’ को दीप-दान करें और ‘मां कामाक्षा’ का ध्यान कर उक्त प्रार्थना करे। मन्त्र का १०८ बार जप करे। ‘दीपक’ सारी रात जलाए रखे और स्वयं भी जागता रहे। नींद आने लगे, तो मन्त्र का जप करे। प्रातःकाल दीपों के बुझ जाने के बाद उन्हें नए वस्त्र में बाँधकर ‘तिजोरी’ या ‘बक्से’ में रखे। इससे श्रीलक्ष्मीजी का उसमें वास हो जाएगा और धन-प्राप्ति होगी। प्रतिदिन सन्ध्या समय दीप जलाए और पाँच बार उक्त मन्त्र का जप करे।
गुरु कृपा से ही सब मंत्र चेतन होते है बिना गुरु के सफलता नहीं मिलती है गुरु बिना कुछ करना है तो कृपा आप अपने इष्टदेव के सेवा करो पहले उनके हुकुम और उनको गुरु धारण करके ही कोई साधना करो क्युकी साधना छोटी हो जा बढ़ी हो गुरु कृपा से ही सफलता मिलती है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा !
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