आज का इंसान
इंसान बहुत ही विचत्र प्राणी है ५ कण से बना है बुद्धि को उलटी सिद्ध ही घूमता है सही तरफ कम लगता है जैसे ही लोब मोह माया और इस्त्री हर के इंसान को सबसे जयदा इस्त्री ने तंग करके रखना है सम्भोग सुख के पीछे दुनिया पागल है पैसे के लिए और दूसरे को निचा दिखाने के लिए कुछ बी कर सकता है जैसे के तंत्र की ही बात करते है कुछ मेरे भाई जो तंत्र मंत्र जानते है लेकिन कम उलटे करते है सही विद्या का सही उपयोग ! तंत्र मंत्र यन्त्र तो प्रैक्टिस है जीने उपयोग गुरु कृपा से गुरु जी के मारगदर्शन मैं करोगे उतनी ही समझ और तंत्र करके की विधि का पता चलेगा बाकि नेट पर बहुत कुछ है ! तंत्र सीखना है मंत्र जा भगति करनी है तो सबके पहले खुद की बॉडी का संसोधन करना पढता ढाई जब बॉडी उस काबिल होगी तभी उस परमात्मा की कृपा होगी नहीं तो पूरी लाइफ नेट पर ही भटकते रहना क्युकी नेट गुरु कम देंगे चोर जयदा देगा सो अपने आप को ही पेचनाओ मैं क्या हूँ और क्या कर रहा हूँ उसकी के पीछे कुण्डलिनी शक्ति का राज़ है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
इंसान बहुत ही विचत्र प्राणी है ५ कण से बना है बुद्धि को उलटी सिद्ध ही घूमता है सही तरफ कम लगता है जैसे ही लोब मोह माया और इस्त्री हर के इंसान को सबसे जयदा इस्त्री ने तंग करके रखना है सम्भोग सुख के पीछे दुनिया पागल है पैसे के लिए और दूसरे को निचा दिखाने के लिए कुछ बी कर सकता है जैसे के तंत्र की ही बात करते है कुछ मेरे भाई जो तंत्र मंत्र जानते है लेकिन कम उलटे करते है सही विद्या का सही उपयोग ! तंत्र मंत्र यन्त्र तो प्रैक्टिस है जीने उपयोग गुरु कृपा से गुरु जी के मारगदर्शन मैं करोगे उतनी ही समझ और तंत्र करके की विधि का पता चलेगा बाकि नेट पर बहुत कुछ है ! तंत्र सीखना है मंत्र जा भगति करनी है तो सबके पहले खुद की बॉडी का संसोधन करना पढता ढाई जब बॉडी उस काबिल होगी तभी उस परमात्मा की कृपा होगी नहीं तो पूरी लाइफ नेट पर ही भटकते रहना क्युकी नेट गुरु कम देंगे चोर जयदा देगा सो अपने आप को ही पेचनाओ मैं क्या हूँ और क्या कर रहा हूँ उसकी के पीछे कुण्डलिनी शक्ति का राज़ है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
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