श्री नवग्रह तांत्रिक मंत्र
सभी प्रकार की पूजा में नवग्रहों की पूजा प्राय अच्छे साधक अपनी साधना श्री गणेश और नवग्रह पूजन व साधना से ही आरंभ करते हैं, फिर निश्चिंत होकर आगे चलते जाते हैं। नवग्रह साधना प्रायः दो सप्ताह में पूर्ण हो जाती है। शनि या राहु केतु से आरंभ करें। शनिवार के दिन से फिर रवि, सोम, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र और वापस शनिवार को उक्त तीन उग्रग्रहों में से एक या दो की कर लें। पुनः शेष ग्रहों का जप दिनानुसार पूर्ण करता जाए। इससे समान रूप से सभी ग्रहों की समान रूप से शांति हो जाती है।
गुरु कृपा से ही सब मंत्र चेतन होते है बिना गुरु के सफलता नहीं मिलती है गुरु बिना कुछ करना है तो कृपा आप अपने इष्टदेव के सेवा करो पहले उनके हुकुम और उनको गुरु धारण करके ही कोई साधना करो क्युकी साधना छोटी हो जा बढ़ी हो गुरु कृपा से ही सफलता मिलती है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा !
प्रत्येक ग्रह का सामान्य पंचोपचार पूजन कर इन्हीं मंत्रों का निश्चित संख्यानुसार जप कर लें। माला रूद्राक्ष की, बृहस्पति में चंदन, चंद्रमा में चंदन की, शेष में रूद्राक्ष है। प्रत्येक ग्रह का दिन के अनुसार आधा-आधा जप दो बार (दो सप्ताह) में पूर्ण कर लें। हर बार हवन करता जाए, तो इससे वर्ष भर की ग्रह शांति हो जाती है। अधिक समय तक भी इसका प्रभाव बना रह सकता है। ग्रहों के विषय में इतनी भी चिंता आवश्यक नहीं है, जितना भय दिखाया गया है।
बाजार से नवग्रहों का एक चित्र तथा नवग्रह पूजन की सामग्री ले आएं, जो कम से कम दो बार पूजन के काम आ सके। प्रथम सप्ताह आधी, फिर दूसरे सप्ताह आधी प्रयोग कर लें।
केतु साधना — शनिवार के दिन पहली पूजा केतु की करके जप कर लें। अगले शनिवार पुनः केतु साधना करके जप कर लें। कर सकें, तो दिन भर में सायंकाल तक एक ही दिन में पूर्ण करके हवन कर लें या दूसरे शनिवार के साथ हवन करें। तत्पश्चात प्रसाद बांट दें।
राहु — पूर्वोक्त मंत्र से शनिवार के दिन ही राहु की पूजा चित्र पर करके इसका भी पूर्वानुसार जप और हवन कर लें। जप से सारे दोष स्वयं मिट जाते हैं। अधिक प्रपंच में पड़ने से कठिनाई अधिक है। सरल विधान ही ठीक रहता है। तत्पश्चात प्रसाद बांट दें।
शनि — अगले शनिवार को शनिदेव के चित्र पर शनि पदार्थों से पूजा करके शनि का भी जप एक या दो शनिवार में पूर्ण कर हवन कर दें और प्रसाद बांट दें।
सूर्य — रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा करके उनका भी जप एक या दो रविवार में पूरा करके हवन करके प्रसाद बांट दें। पूजा लाल पदार्थों से करें, हवन में थोड़ी सूर्य पूजा सामग्री मिला लें। यही विधि सभी ग्रहों के हवन में करनी होगी।
चंद्र — सोमवार को चंद्रमा की पूजा जप हवन करके एक या दो सेमवार में वही जप पूर्ण करके बच्चों में प्रसाद बांट दें। गरीबों में दे दें।
मंगल — मंगलवार के दिन मंगल की पूजा हवन पूरा करके प्रसाद बांट दें।
बुध — बुधवार के दिन बुधमंत्र से पूजा कर बुध का हवन कर दें।
गुरु — बृहस्पतिवार को गुरु की पूजा जप हवन करके प्रसाद बांट दें,
शुक्र — शुक्रवार के दिन शुक्रमंत्र से शुक्र पूजा जप हवन कर प्रसाद बांट दें, हो गई नवग्रह साधना।
फल – स्वयं किया हुआ जप हवन दूसरे के द्वारा किए हुए से ६ गुना अधिक फल देता है।
साधना मंत्र —
साधना मंत्र संख्या ग्रह दिन
ॐ कें केतवे नमः १७,००० केतु शनि
ॐ शं शनैश्चराय नमः २३,००० शनि शनि
ॐ रां राहवे नमः १८,००० राहु शनि
ॐ ऐं घृणि सूर्याय नमः ७,००० सूर्य रवि
ॐ सों सोमाय नमः ११,००० सोम चंद्र
ॐ अं अंगारकाय नमः १०,००० मंगल मंगल
ॐ बुं बुधाय नमः ८,००० बुध बुध
ॐ बृं बृहस्पतये नमः ११,००० बृहस्पति गुरु
ॐ शुं शुक्राय नमः १६,००० शुक्र शुक्र…
जिस बी ग्रह की पूजा करनी यही उससे दिन से आपको यह वाली साधना करनी है यहाँ पर बी हवन करना जरूरी है हवन के बिना साधना पूर्ण नहीं मणि जाती है मंत्र चाहे शाबर जा वैदिक है पूजा तो आपको हवन तो करना ही पड़ेगा माला कोई बी चलेगी रुद्राक्ष की उत्तम है और भोग मैं कुछ न कुछ देना होता है बिना भोग के कोई बी साधना नहीं करनी है ! धुप डीप आ सभी को पता है बस थोड़ा खुद पर कण्ट्रोल करना है आपको और सम्भोग से दूर आशा करना हूँ बाबा जी आपको सफलता दे जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
सभी प्रकार की पूजा में नवग्रहों की पूजा प्राय अच्छे साधक अपनी साधना श्री गणेश और नवग्रह पूजन व साधना से ही आरंभ करते हैं, फिर निश्चिंत होकर आगे चलते जाते हैं। नवग्रह साधना प्रायः दो सप्ताह में पूर्ण हो जाती है। शनि या राहु केतु से आरंभ करें। शनिवार के दिन से फिर रवि, सोम, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र और वापस शनिवार को उक्त तीन उग्रग्रहों में से एक या दो की कर लें। पुनः शेष ग्रहों का जप दिनानुसार पूर्ण करता जाए। इससे समान रूप से सभी ग्रहों की समान रूप से शांति हो जाती है।
गुरु कृपा से ही सब मंत्र चेतन होते है बिना गुरु के सफलता नहीं मिलती है गुरु बिना कुछ करना है तो कृपा आप अपने इष्टदेव के सेवा करो पहले उनके हुकुम और उनको गुरु धारण करके ही कोई साधना करो क्युकी साधना छोटी हो जा बढ़ी हो गुरु कृपा से ही सफलता मिलती है जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा !
प्रत्येक ग्रह का सामान्य पंचोपचार पूजन कर इन्हीं मंत्रों का निश्चित संख्यानुसार जप कर लें। माला रूद्राक्ष की, बृहस्पति में चंदन, चंद्रमा में चंदन की, शेष में रूद्राक्ष है। प्रत्येक ग्रह का दिन के अनुसार आधा-आधा जप दो बार (दो सप्ताह) में पूर्ण कर लें। हर बार हवन करता जाए, तो इससे वर्ष भर की ग्रह शांति हो जाती है। अधिक समय तक भी इसका प्रभाव बना रह सकता है। ग्रहों के विषय में इतनी भी चिंता आवश्यक नहीं है, जितना भय दिखाया गया है।
बाजार से नवग्रहों का एक चित्र तथा नवग्रह पूजन की सामग्री ले आएं, जो कम से कम दो बार पूजन के काम आ सके। प्रथम सप्ताह आधी, फिर दूसरे सप्ताह आधी प्रयोग कर लें।
केतु साधना — शनिवार के दिन पहली पूजा केतु की करके जप कर लें। अगले शनिवार पुनः केतु साधना करके जप कर लें। कर सकें, तो दिन भर में सायंकाल तक एक ही दिन में पूर्ण करके हवन कर लें या दूसरे शनिवार के साथ हवन करें। तत्पश्चात प्रसाद बांट दें।
राहु — पूर्वोक्त मंत्र से शनिवार के दिन ही राहु की पूजा चित्र पर करके इसका भी पूर्वानुसार जप और हवन कर लें। जप से सारे दोष स्वयं मिट जाते हैं। अधिक प्रपंच में पड़ने से कठिनाई अधिक है। सरल विधान ही ठीक रहता है। तत्पश्चात प्रसाद बांट दें।
शनि — अगले शनिवार को शनिदेव के चित्र पर शनि पदार्थों से पूजा करके शनि का भी जप एक या दो शनिवार में पूर्ण कर हवन कर दें और प्रसाद बांट दें।
सूर्य — रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा करके उनका भी जप एक या दो रविवार में पूरा करके हवन करके प्रसाद बांट दें। पूजा लाल पदार्थों से करें, हवन में थोड़ी सूर्य पूजा सामग्री मिला लें। यही विधि सभी ग्रहों के हवन में करनी होगी।
चंद्र — सोमवार को चंद्रमा की पूजा जप हवन करके एक या दो सेमवार में वही जप पूर्ण करके बच्चों में प्रसाद बांट दें। गरीबों में दे दें।
मंगल — मंगलवार के दिन मंगल की पूजा हवन पूरा करके प्रसाद बांट दें।
बुध — बुधवार के दिन बुधमंत्र से पूजा कर बुध का हवन कर दें।
गुरु — बृहस्पतिवार को गुरु की पूजा जप हवन करके प्रसाद बांट दें,
शुक्र — शुक्रवार के दिन शुक्रमंत्र से शुक्र पूजा जप हवन कर प्रसाद बांट दें, हो गई नवग्रह साधना।
फल – स्वयं किया हुआ जप हवन दूसरे के द्वारा किए हुए से ६ गुना अधिक फल देता है।
साधना मंत्र —
साधना मंत्र संख्या ग्रह दिन
ॐ कें केतवे नमः १७,००० केतु शनि
ॐ शं शनैश्चराय नमः २३,००० शनि शनि
ॐ रां राहवे नमः १८,००० राहु शनि
ॐ ऐं घृणि सूर्याय नमः ७,००० सूर्य रवि
ॐ सों सोमाय नमः ११,००० सोम चंद्र
ॐ अं अंगारकाय नमः १०,००० मंगल मंगल
ॐ बुं बुधाय नमः ८,००० बुध बुध
ॐ बृं बृहस्पतये नमः ११,००० बृहस्पति गुरु
ॐ शुं शुक्राय नमः १६,००० शुक्र शुक्र…
जिस बी ग्रह की पूजा करनी यही उससे दिन से आपको यह वाली साधना करनी है यहाँ पर बी हवन करना जरूरी है हवन के बिना साधना पूर्ण नहीं मणि जाती है मंत्र चाहे शाबर जा वैदिक है पूजा तो आपको हवन तो करना ही पड़ेगा माला कोई बी चलेगी रुद्राक्ष की उत्तम है और भोग मैं कुछ न कुछ देना होता है बिना भोग के कोई बी साधना नहीं करनी है ! धुप डीप आ सभी को पता है बस थोड़ा खुद पर कण्ट्रोल करना है आपको और सम्भोग से दूर आशा करना हूँ बाबा जी आपको सफलता दे जय गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
श्रीमान साधना को उजारगर करने के लिए धन्यवाद .. कृपया कर ये बताएं की मंत्र में बीज मंत्र जो दिए हैं उसमे "म " की धवनि करि जाए या "अंग " की धवनि की जाए ... जैसे राहु के मंत्र में "ॐ रॉंग रहवे नमः" पढ़े या "ॐ राम रहवे ....
ReplyDeleteऐसे ही शुक्र के मंत्र में ॐ शुंग शुक्राय नमः पढ़े या ॐ शुम शुक्राय नमः पढ़े | आशा है आप समय मिलते ही उत्तर देंगे .
धन्यवाद